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वैयक्तिक विभिन्नता की प्रकृति, अर्थ और परिभाषा (Individual Difference :- Nature,  Meaning and Defination) 

वैयक्तिक विभिन्नता प्रकृति प्रदत्त है। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से किसी-न-किसी रूप में भिन्न है। कोई व्यक्ति लंबा है तो कोई छोटा, कोई गोरा तो कोई काला, किसी की बुद्धि तीव्र है तो किसी की मंद, रंग, रूप, ‘आकार, बुद्धि संस्कृति आदि के आधार पर निश्चित रूप से कहीं-न-कहीं दो व्यक्ति एक-दूसरे से भिन्न है। यहाँ तक कि एक माँ-बाप के बच्चे, जुड़वाँ बच्चों में भी वैयक्तिक विभिन्नता देखने को मिलती है। ऐसे में व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझना तथा उसके विकास पर बल देना आवश्यक हो जाता है। वैयक्तिक भिन्नताओं का अध्ययन सर्वप्रथम गाल्टन ने किया। आज बाल मनोविज्ञान बालक के व्यक्तित्व के विकास पर बल डालता है, क्योंकि यदि प्रत्येक बालक के व्यक्तित्व का विकास सही होगा तो निश्चित ही समाज भी अच्छा बनेगा व राष्ट्र भी सशक्त होगा। वैयक्तिक विभिन्नता का ही प्रभाव है कि एक बालक को सौ में सौ अंक मिलते हैं तथा किसी को सौ में शून्य अंक भी प्राप्त होता है। व्यक्ति के स्वभाव, बुद्धि, शारीरिक-मानसिक क्षमता, सांवेगिक विकास, मनोवृत्ति आदि में अंतर होता है, भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में इस प्रकार के अंतर को ही वैयक्तिक विभिन्नता कहते हैं।

वैयक्तिक विभिन्नता की परिभाषा को जानने से पूर्व ‘व्यक्तित्व’ को समझना आवश्यक है। व्यक्तित्व शब्द अंग्रेजी भाषा के Personality शब्द का पर्याय है। Personality शब्द लैटिन शब्द Persona से बना है जिसका अर्थ होता है-नकाब (Mask), अर्थात् चरित्र के अनुरूप जो धारण करता है। मनुष्य की कोई भी मानसिक, शारीरिक व सामाजिक क्रिया या उसके व्यवहार को उसके व्यक्तित्व से पृथक् नहीं किया जा सकता है, बल्कि व्यक्तित्व वह समग्रता (Totality) है, जिसमें व्यक्ति के संपूर्ण गुणों का परिलक्षण होता है। व्यक्तित्व की 50 से अधिक परिभाषाएं दी जा चुकी हैं, लेकिन उसमें आलपोर्ट की परिभाषा को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।


 
आलपोर्ट के अनुसार
“व्यक्ति को व्यक्ति के भीतर पूर्ण मनोशारीरिक तंत्रों का गतिशील या गत्यात्मक संगठन है जो वातावरण में उसके अपूर्व समायोजन को निर्धारित करता है। “

स्कीनर के अनुसार,
 “वैयक्तिक विभिन्नताओं से तात्पर्य व्यक्तित्व के उन सभी पहलुओं से है जिनका मापन व मूल्यांकन किया जा सकता है। “

जेम्स ड्रेवर के अनुसार, 
“कोई व्यक्ति अपने समूह के शारीरिक व मानसिक गुणों के औसत से जितनी भिन्नता रखता है उसे वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं। “

टॉयलर के अनुसार,   
“शरीर के रूप-रंग, आकार, कार्य, गति, बुद्धि, ज्ञान, उपलब्धि, रुचि, अभिरुचि आदि लक्षणों में पाई जाने वाली भिन्नता को वैयक्तिक भिन्नता कहते हैं। “


प्रत्येक शिक्षार्थी स्वयं में विशिष्ट है। इसका अर्थ है कि कोई भी दो शिक्षार्थी अपनी
योग्यताओं, रुचियों और प्रतिभाओं में एकसमान नहीं होते।

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वैयक्तिक विभिन्नताओं के प्रकार
(Types of Individual Differences)


1. भाषा के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नताएँ 
   (Individual Differences Based on       
     Language) 

व्यक्ति में कई तरह के कौशल पाए जाते हैं उनमें एक है- -भाषा कौशल। एक ही उम्र के बालकों में भाषा समान रूप से विकसित नहीं होती है, कुछ में यह जल्दी विकसित नहीं होती है, कुछ में यह जल्दी विकसित होती है तो कुछ में देर से होती है। जिन बालकों में भाषा कौशल का विकास जल्द होना है वो अपने विचारों को भी अभिव्यक्त करने में कुशल होते हैं। भाषा का विकास बालकों में सही तरीके से तथा त्रुटि रहित करना चाहिए, क्योंकि ये हमेशा व्यक्तित्व में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

2. लिंग के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Difference Based on Gender

पुरुष का शारीरिक गठन स्त्रियों के अपेक्षाकृत अलग होता है। सामान्यतः एक ही वातावरण के अंतर्गत रहने वाले पुरुषों की लंबाई स्त्रियों से अधिक होती है। शारीरिक भिन्नता दिखती है, परंतु मानसिक स्तर पर लड़कियाँ, लड़कों से कहीं भी पीछे नहीं है। यह भी अध्ययन में पाया गया है कि एक ही परिवेश में रहने वाले लड़के-लड़कियों में सहनशीलता ज्यादा पायी गयी है अपेक्षाकृत लड़कों के। 

3. परिवार एवं समुदाय के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता
(Individual Difference Based on Family and Community) 

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ऐसे में निश्चित ही उसके व्यक्तित्व पर उसके परिवार व समाज का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। मानव के व्यक्तित्व के विकास पर उसके परिवार एवं समुदाय का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। इसलिए समुदाय के प्रभाव को वैयक्तिक विभिन्नता में भी देखा जा सकता है। अच्छे परिवार एवं समुदाय से सम्बन्ध रखने वाले बच्चों का व्यवहार सामान्यतः अच्छा होता है। यदि किसी समुदाय में किसी प्रकार के अपराध करने की प्रवृत्ति हो, तो इसका कुप्रभाव उस समुदाय के बच्चों पर भी पड़ता है। बालकों में नैतिकता, सोच, समायोजन आदि का प्रभाव स्पष्ट दिखता है। परिवार की या समाज की आर्थिक स्तर का भी प्रभाव बालकों पर पड़ता है।

4. बुद्धि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Difference Based on Intellegence)

परीक्षणों के आधार पर ज्ञात हुआ है कि सभी व्यक्तियों की बुद्धि एकसमान नहीं होती।बालकों में भी बुद्धि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता दिखाई पड़ती है। कुछ बालक अपनी आयु की अपेक्षा अधिक बुद्धि को प्रदर्शित करते हैं, इसके विपरीत कुछ बच्चों में सामान्य बुद्धि पाई जाती है। बुद्धि-परीक्षण के आधार पर यह ज्ञात किया जा सकता है कि कोई बालक किसी अन्य बालक से कितना अधिक बुद्धिमान है? 

5. धर्म के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Difference Based on religion) 


धर्म को सरल शब्दों में जाने तो क्रियाकलाप या आचरण जो हम नित्य-प्रतिदिन करते हैं अर्थात् धर्म हमारे नियमों, नैतिक मूल्यों और आचरण को निर्धारित तथा नियंत्रित भी करता है। प्रत्येक धर्म सहिष्णुता, प्रेम, भाईचारा आदि सिखलाता है परंतु उनके मानने वालों के व्यवहार में अंतर आता है इसकी मुख्य वजह है धर्म की उदारता, कट्टरता आदि। जिस धर्म में उदारता का भाव ज्यादा होगा निश्चित रूप से मानने वाले की प्रवृत्ति में भी उदारता अधिक देखने को मिलती है। 

6. व्यक्तित्व के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Difference Based on Personality) 

प्रत्येक बालक या व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है। कोई अंतर्मुखी तो कोई बर्हिमुखी होता है। कुछ लोगों का व्यक्तित्व दूसरे को बहुत प्रभावित करता है तथा कुछ लोग दूसरे के व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं।


टॉयलर के अनुसार, “सम्भवतः व्यक्ति, योग्यता की विभिन्नताओं के बजाय व्यक्तित्व की विभिन्नताओं से अधिक प्रभावित होता है।”

इन सबके अलावा शारीरिक, मानसिक, सांवेगिक आदि के आधार पर वैयक्तिक विभिन्नता पायी जाती है।  





वैयक्तिक विभिन्नता के कारण
( Reason of Individual Difference)

वैयक्तिक विभिन्नता आनुवंशिकता, वातावरण, आर्थिक स्थिति, शिक्षा, परिपक्वता, प्रजाति, राष्ट्रीयता, लिंग, आयु, बुद्धि, अधिगम, विचार, स्वास्थ्य, संस्कृति, धर्म रुचि, अभिक्षमता आदि के कारण होती है। 
वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन की विधियाँ (Individual Difference : study methods)
मनोवैज्ञानिकों ने वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन करने हेतु कई विधियों का निर्माण किया है :- 


  •  व्यक्तित्व परीक्षणः व्यक्ति या बालक के शीलगुणों के माप हेतु मनोवैज्ञानिकों ने कई व्यक्तित्व परीक्षण बनाए हैं; जैसे-व्यक्तित्व आविष्कारिका, प्रक्षेपण विधियाँ, प्रेक्षण विधियाँ आदि।


  • उपलब्धि परीक्षणः बालकों में शैक्षिक उपलब्धि की माप हेतु भिन्न-भिन्न विषयों के लिए अलग-अलग परीक्षण बनाए गए हैं।


  • बुद्धि परीक्षणः मनोवैज्ञानिकों ने अनेक तरह के बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया है जिसके प्राप्तांक के आधार पर बुद्धिलब्धि ज्ञात किया जा सके; जैसे-बिने, टरमैन, गुड एन.एफ., कैटल, जलोटा आदि द्वारा बनाया गया बुद्धि परीक्षण |


  • अभिक्षमता परीक्षण: अलग-अलग अभिक्षमता के मापन हेतु अलग-अलग परीक्षण का निर्माण किया जाता है; जैसे- शिक्षण अभिक्षमता, प्रशासनिक अभिक्षमता, आंकिक अभिक्षमता, प्रत्याक्षणिक अभिक्षमता, आदि।

इनके अलावा अभिरुचि परीक्षण, संवेग परीक्षण, मनोवृत्ति परीक्षण आदि विधियों का भी निर्माण किया गया है।


वैयक्तिक विभिन्नता के अध्ययन में शिक्षा का महत्त्व



  • शिक्षक के लिए यह आवश्यक है कि बालकों की वैयक्तिक विभिन्नता को न सिर्फ जाने अपितु उनको शिक्षा देने में संतुलन स्थापित करे ताकि शिक्षण कार्य सही से पूर्ण हो सके।

  • वैयक्तिक विभिन्नता को सही से शिक्षक पहचानेंगे तभी वो अध्यापन विधि का सही चयन कर पाएँगे। वैयक्तिक विभिन्नता को ध्यान रखकर ही उपर्युक्त पाठ्यक्रम तथा उचित दिशा में शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।

  • वर्ग में बैठने का क्रम हो या गृहकार्य देने की बात हो या अनुशासन स्थापित करने की बात हो या उनका मूल्यांकन करने की बात सभी के लिए आवश्यक है। शिक्षक वैयक्तिक भिन्नता को जानें तभी वे उपरोक्त कार्य को उचित ढंग से संपन्न कर पाएँगे।








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