कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं।
कैबिनट ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। जिससे स्कूल और उच्च शिक्षा स्तरों पर बड़े पैमाने पर सुधार हुए है। यह 21वी सदी की पहली शिक्षा नीति है जो शिक्षा की 34 वर्ष पुरानी राष्ट्रीय नीति (NPE, 1986) की जगह लेती है।
स्कूल और कॉलेज दोनों की शिक्षा को 21वी सदी के जरूरतों के अनुकूल और समग्र , लचीला, बहु-विषयक बना कर एक जीवंत ज्ञान और वैश्विक ज्ञान महाशक्ति में बदलना है। इसका उद्देश्य है प्रत्येक छात्र की अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।
NEP 2020, के तहत लगभग 2 कड़ोड स्कूली बच्चो को वापस मुख्य धारा में लाया जाएगा। NCP 2020 सभी स्तरों पर स्कूल सार्वभौमिक पहुँच को सुनिश्चित करता है।
सरकार ने बताया कि मौजूदा शिक्षा नीति के तहत फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स लिया जा सकता है। इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी। लेकिन नई नीति में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी। जो मेजर प्रोग्राम हैं उसके अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं। इसके दो फायदे होंगे।
HRD मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय हो जाएगा
मानव संसाधन मंत्रालय को फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। पहले इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था। साल 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था।
स्कूली शिक्षा में 10+2 प्रारूप अब खत्म
नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा में 10+2 फॉर्मेट को खत्म कर दिया गया है। इसे 10+2 से 5+3+3+4 फॉर्मेट में ढाला गया है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12) होंगे।