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बालक कैसे चिंतन करते हैं? How Do Children Think?

चिंतन एक मानसिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में प्रतिमाओं, प्रतीकों, संप्रत्यय नियमों एवं अन्य इकाइयों का मानसिक जोड़-तोड़ होता है। इस प्रक्रिया में प्रत्यक्षीकरण, स्मृति, अधिगम, ध्यान (अवधान) आदि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। बालक के सामने जब कोई समस्या आती है तब वह उसका समाधान ढूँढ़ता है और समाधान चिंतन से प्राप्त करता है।

बालक में चिंतन की प्रक्रिया Process of Thinking in Children 


 बालक समस्या के सामने आने पर उसके समाधान हेतु प्रयास करने लगता है। समस्या के समाधान के लिए सकारात्मक दिशा में कार्य करता है (चिंतन)। यही चिंतन प्रक्रिया की शुरुआत है जो बालक तर्क, रुचि, जिज्ञासा, प्रत्यक्षीकरण, कल्पना संप्रत्यय, अनुभव के आधार पर या इनमें से किसी आधार पर समस्या के समाधान हेतु सोचता है।

बालकों में चिंतन योग्यता को कैसे बढ़ाया जाए ? How to Enhance Thinking Ability in Children 

  • रुचि के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
  • उत्तरदायित्व की भावना को समझाना चाहिए।
  • बालकों को प्रेरित किया जाए कि वह लक्ष्य को पा सकते हैं तथा समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
  • बालकों में आत्म-विश्वास को बढ़ाना चाहिए तथा उनमें धनात्मक मनोवृत्ति का विकास करना चाहिए।
  • समस्या का अभ्यास कराना चाहिए और इसे अभ्यास करते समय आयु का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  •  तर्क, वाद-विवाद, संगोष्ठी, समूह परिचर्चा में उनकी भागीदारी करानी चाहिए।


बालक कैसे अधिगम करता है?  How Do Children Learn? 

बालक परिवार, आस-पड़ोस, साथी समूह, स्कूल, शिक्षक, अपने अनुभव आदि के माध्यम से अधिगम करता है। बालक अधिगम सामान्य: या तो अभ्यास द्वारा करता है या अनुभव के माध्यम से करता है। बालक कुछ क्रियाओं को या ज्ञान को अभ्यास के द्वारा अधिगम करता है तथा कुछ को अनुभव के द्वारा करता है। भले ही बालक व अधिगम विषय-वस्तु के बीच माध्यम कुछ भी हो। बालक के अधिगम का तरीका भी सबका अलग-अलग होता है। जिन बालकों की IQ का स्तर अधिक होता है वह समझकर सीखना पसंद करते हैं वहीं कम I.Q. वाले बालक उसे रटकर सीखना पसंद करते हैं। बालक प्रयास व त्रुटि द्वारा भी सीखते हैं। प्रयास व त्रुटि का सिद्धांत थॉर्नडाइक द्वारा दिया गया जिसमें तत्परता, अभ्यास तथा प्रभाव का नियम शामिल है। बालक में अन्वेषण सीखना भी होते देखा जाता है। बालक द्वारा प्रेक्षण, विवेचना तथा करके देखना आदि विधि का अधिगम हेतु उपयोग करते हैं। 

बालक विद्यालयी उपलब्धि में क्यों और कैसे असफल होते हैं?

बालक स्कूल में क्यों असफल होते हैं या यूँ कहें कि क्यों फेल होते हैं तो कुछ कारण प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं, जो निम्न हैं-
  • अभ्यास में कमी: बालक यदि अर्जित ज्ञान का अभ्यास नहीं करेगा तो स्मृति से बहुत सारी बातें विलोपित होने लगती हैं वहीं अगर अभ्यास किया जाता रहा है, तो स्मृति में चिन्ह बने रहते हैं।
  •  उचित प्रेरणा व मार्गदर्शन का अभावः बालक यदि लक्ष्य के प्रति प्रेरित नहीं होते हैं तो निश्चित ही फिर लक्ष्य प्राप्ति में कठिनाई होती है। इतना ही नहीं उचित प्रेरणा के साथ सही मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाना चाहिए जिस पर चलकर लक्ष्य तक पहुँचा जा सके।
  • बौद्धिक क्षमता बालक में यदि बौद्धिक क्षमता की कमी हो तो वो सीधे सरल प्रश्नों के जवाब तो आसानी से रटकर दे पाता है, लेकिन तार्किक प्रश्न या थोड़े घुमावदार प्रश्न, जिसे कठिन प्रश्न भी कहते हैं, का जवाब देना उसके लिए कठिन हो जाता है।
  • मनोवृत्ति व आत्मविश्वास किसी भी लक्ष्य को पाने या सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास तथा सकारात्मक मनोवृत्ति का होना जरूरी है। इसकी कमी से सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है।
  •  निष्पादनः बालक कितना सीखता है इससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि वह सीखे गए ज्ञान का सही इस्तेमाल व प्रदर्शन उचित अवसर पर कर पाता है कि नहीं।
  • बालक का स्वास्थ्यः बालक शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होगा तभी सफलता की दर अधिक होगी अन्यथा वह अपनी पूरी योग्यता स्मृति का सही इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। 

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