विविधता का सामान्य अर्थ :-
विविधता का सामान्य अर्थ है कि भौगोलिक रूप से, सांस्कृतिक रूप से, भाषा व वेशभूषा, धर्म इत्यादि के आधार पर विभिन्न स्वरूप में एक समाज व एक देश विशेष पर रहना।
साम्प्रदायिकता का सामान्य अर्थ :-
साम्प्रदायिकता का अर्थ है कि जब किसी समाज में विभिन्न वर्गों व सम्प्रदाय विशेष के बीच किसी विशेष समस्या व घटनाओं के परिणाम स्वरूप आपसी द्वेष या भेदभाव के विरोध में होने वाली सामाजिक घटना। सामान्यतः साम्प्रदायिकता को नकारात्मक रूप में ही समझा जाता है।
* पूर्वाग्रह का सामान्य अर्थ है :-
पूर्वाग्रह का सामान्य अर्थ है जब हम किसी समाज का, धर्म व कार्य के बारे में पहले से ही कोई राय या अवधारणा बना लेते हैं और इस अवधारणा को मस्तिष्क में बिठा लेते हैं तो वह पूर्वाग्रह का रूप धारण कर लेता है।
रूढ़िवादिता का सामान्य अर्थ :-
रूढ़िवादिता का सामान्य अर्थ है कि जो व्यक्ति समाज के किसी वर्ग या परिघटना के प्रति सभी लोग एक ही छाँव में बाँध देते हैं या उनके बारे में एक धारणा पक्की या स्थायी बना लेते हैं तो उसे रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं।
असमानता का सामान्य अर्थ :-
असमानता का सामान्य अर्थ है किसी समाज व देश विदेश में व्यक्ति द्वारा सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक स्तर पर किया जाने वाला विषमता युक्त व्यवहार।
अस्पृश्यता या छुआछूत :-
अस्पृश्यता का मतलब है समाज में जाति या वर्ग व धर्म के आधार पर किया जाने वाला भेद-भाव पूर्ण व्यवहार।
भारत में विविधता के विभिन्न पहलू :-
भारत में सामाजिक, सांस्कृतिक राजनीतिक व आर्थिक स्तर पर ‘विविधता में एकता का स्वरूप है जो इस प्रकार है :-
- भाषा :-
भाषा ही संस्कृति को विविधता प्रदान करती है। प्रारम्भ से ही भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती रही है। भाषा के विकास ने ही विभिन्न धर्मग्रन्थों, महाकाव्य, नाटक तथा साहित्य की रचनाओं में योगदान दिया। ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ जैसे महाकाव्यों का निर्माण भाषा के विकास के साथ ही हुआ, विभिन्न क्षेत्रों के निवासियों की अलग-अलग ম के कारण साहित्य भाषाएँ विकसित हुईं। इन भाषाओं का जो विकास हुआ, उसने भी भारतीय राष्ट्रीय जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विभिन्न साहित्यिक रचनाओं ने भी भारत की एकता’ का ही पाठ पढ़ाया।
भारत के संविधान में 8वीं अनुसूची में प्रारम्भ में केवल 14 भाषाओं का प्रावधान था परन्तु वर्तमान में 22 भाषाएँ उल्लेखित हैं। भारत में कुछ भाषाएँ हैं जिन्हें शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है-संस्कृत, तेलगू, तमिल, कन्नड़ व मलयालम ।
- कला व नृत्य :-
भारत विभिन्न कला व नृत्य शैली की विविधता वाला देश है। भारत के प्रत्येक भौगोलिक भाग व राज्य समाज व वर्ग की राष्ट्रीय कला व नृत्य के साथ-साथ लोक-कलाएँ व नृत्य प्रचलित है। भारत में कुछ नृत्य ऐसे हैं जिन्हें शास्त्रीय नृत्य का दर्जा दिया गया है। जैसे: कथक, भरतनाट्यम. कुचिपुड़ी, कथकली, मणिपुरी और ओडिसी।
- क्षेत्र :-
भारत में न केवल धर्म और भाषा की विविधता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग भी यहाँ निवास कर रहे हैं। भारत में राष्ट्रीयता की भावना भी विद्यमान है एक क्षेत्र के लोग दूसरे क्षेत्र के लोगों से अपने को भिन्न मानते हैं। उन्हें अपने क्षेत्र और प्रान्त के लिए अत्यधिक स्नेह है परन्तु, यह भावना प्रबल है कि विभिन्न क्षेत्रों में रहते हुए भी हम भारत के नागरिक हैं। भारत का विकास ही सभी क्षेत्र के लोगों का मूल उद्देश्य है।
- विविधता में एकता :-
स्पष्ट है कि भारत विविधताओं का देश है। साथ ही ‘विविधता में एकता’ भारत राष्ट्र की अपनी विशेषता है। हम धर्मनिरपेक्ष राज्य के नागरिक है भारत में विविधता शुरु से है पर, हम लोग 5 मिलजुलकर रहते आए हैं। हिन्दू और मुसलमान मुगल-शासकों के समय में भी साथ-साथ रहते थे। पर्व-त्यौहार के अवसर पर भी वे साथ रहे हैं होली, दीपावली, और दशहरा आदि पर्यो में मुसलमान भी साथ देते हैं। ईद के मौके पर हिन्दू भी मुसलमान साथियों को मुबारकबाद देते है।
सिखों के गुरुद्वारे में हिन्दू भी जाते हैं और हिन्दू मन्दिरों में सिख भी पूजा करने जाते हैं अलग-अलग होते हुए भी हम न भारतवासी एक है।
- जवाहर लाल नेहरू ने ही अपनी किताब ‘भारत एक खोज’ में ‘अनेकता में एकता’ का विचार दिया था।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित भारत का राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ भी भारतीय एकता की एक अभिव्यक्ति है।
- विश्व/संसार में आठ मुख्य धर्म है-ईसाई, स्कूल, यहूदी, हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख व पारसी आदि। भारत में इन सभी आठ धर्मों के अनुयायी है, जिसमें छः अल्पसंख्यक धर्म हैं-इस्लाम, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई वो पारसी।
- भारत में 1600 से ज्यादा भाषाएँ व बोलियाँ बोली जाती है।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर 18911956 को भारत के संविधान का जनक व दलितों के सबसे बड़े नेता के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म ‘महार जाति’ में हुआ था। 1947 के बाद देश की आजादी के उपरान्त संविधान में भारतीय नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए परन्तु वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार प्राप्त हैं-समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार व संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
भारत में विविधता व एकता के समक्ष अनेक चुनौतियां व समस्याएँ :-
1. जातिवाद
2. क्षेत्रियातावाद
3. भाषावाद
4. साम्प्रदायिकता
5. नक्सलवाद/आतंकवाद
6. क्षेत्रीय असमानता
7. भ्रष्टाचार 8. भाई-भतीजावाद
9. अशिक्षा/निरक्षरता
10. गरीबी
11. बेरोजगारी