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अभिप्रेरणा एवं अधिगम | Motivation and Learning 

अभिप्रेरणा को लोग साधारण शब्दों में प्रेरणा के नाम से भी जानते हैं। अभिप्रेरणा का सामान्य अर्थ है- किसी कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित करना ।अंग्रेजी में मोटिवेशन (Motivation) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा की मोटम (Motum) धातु से हुई है, जिसका अर्थ है- मूव, मोटर और मोशन अभिप्रेरणा का महत्त्व बाल मनोविज्ञान में ‘बालक के व्यवहार के कारणों को समझने में है। 

अभिप्रेरणा एक ऐसा आंतरिक बल उत्पन्न करती है जो व्यवहार को लक्ष्य निर्देशित बनाता है। व्यक्ति या बालक के व्यवहार में ‘क्यों’ पक्ष का जवाब अभिप्रेरणा या ‘प्रेरणा’ से मिलता है; 

जैसे- यदि कोई बालक गणित की कक्षा शुरू होते ही प्रतिदिन उठकर कक्षा से बाहर चला जाता है तो निश्चित रूपेण उसके इस व्यवहार के पीछे कोई-न-कोई कारण अवश्य होगा;…. 

जैसे-गणित शिक्षक की शिक्षण विधि उसे समझ में न आती हो या फिर उसकी रुचि विषय में न हो या कोई अन्य कारण हो सकता है।

अभिप्रेरणा को उत्पन्न करने वाले कारकों को अभिप्रेरक कहते हैं। अभिप्रेरक व्यक्ति की वे आन्तरिक एवं बाह्य दशाएँ हैं, जो उसे कार्य विशेष के सम्पादन के लिए अभिप्रेरित करती हैं एवं उद्देश्य की प्राप्ति तक क्रियाशील रखती हैं। इस तरह अभिप्रेरक दो प्रकार के होते हैं :-  बाह्य अभिप्रेरक एवं आन्तरिक अभिप्रेरक। 

👉🟠 जेम्स ड्रेवर के अनुसार

‘अभिप्रेरणा एक भावात्मक क्रियात्मक कारक है जो कि चेतन अथवा अचेतन लक्ष्य की ओर होने वाली व्यक्ति के व्यवहार की दिशा को निश्चित करने का कार्य करता है। “

👉🟠 मैकड्रगल 

‘अभिप्रेरक प्राणी में निहित वे शारीरिक व मनोवैज्ञानिक दशायें हैं जो उसे किसी विशेष ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। ” 

प्रेरणा एवं अधिगम का मास्लो सिद्धांत ☝🏻☝🏻☝🏻☝🏻☝🏻☝🏻

अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले कारक

1. पुरस्कार व दंड

2. सफलता व असफलता

3. प्रतियोगिता व सहयोग

4. रुचि

5. नवीनता

6. आवश्यकता

7. कक्षा का वातावरण छात्र के लिए

8. आकांक्षा का स्तर


अधिगम में अभिप्रेरणा का महत्त्व


अभिप्रेरणा या प्रेरणा शिक्षक व छात्र दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है।


छात्र के लिए :- 


  • अभिप्रेरणा छात्र में जिज्ञासा उत्पन्न करती है तथा उसकी उत्सुकता को बढ़ाती है।
  • अभिप्रेरणा छात्र को न सिर्फ क्रिया करने के लिए आंतरिक बल प्रदान करती है, बल्कि उसे निरंतर क्रियाशील बनाए रखती है।
  • अभिप्रेरणा छात्र की सीखने की अरुचि को रुचि में परिवर्तित कर सकती है।
  • अभिप्रेरणा छात्रों में नैतिक, चारित्रिक, सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देती है तथा राष्ट्र व समाज सेवा की भावना को विकसित करती है।
  • अभिप्रेरणा छात्र को लक्ष्य या उद्देश्यों को प्राप्त कराने में सहायक होती है। 

छात्र में अभिप्रेरणा को बढ़ाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :-


  •  पढ़ाए जाने वाले विषय उपयोगी हों।
  •  कक्षा का वातावरण सही हो अर्थात् हवा, रोशनी, तथा शांत वातावरण हो । पर्याप्त
  • विद्यार्थियों की आवश्यकता व योग्यता । 
  • उपयुक्त शिक्षण विधि। 
  •  उपयुक्त शिक्षण विधि।
  •  छात्र को दिया जाने वाला पुनर्बलन, जैसे पुरस्कार, दंड, प्रशंसा, निंदा आदि।
  •  छात्र के सफलता या उपलब्धि के परिणाम का उसे जल्द ज्ञान कराना चाहिए।
  •  छात्रों के बीच में प्रतियोगिता, वाद-विवाद, क्विज आदि कराने चाहिए । 

शिक्षक के लिए अभिप्रेरणा का महत्त्व :- 

  • यदि कोई शिक्षक चाहे तो कठिन-से-कठिन विषय को छात्रों को सरलतापूर्वक अधिगम करा सकता है ऐसा वह तब कर पाएगा जब वह खुद अधिगम कराने के लिए प्रेरित हो ।
  • शिक्षक को एक अच्छा प्रेरक होना चाहिए तभी वह अपने छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न कर उन्हें क्रियाशील बना सकता है।
  • शिक्षण विधि को सरल रखना चाहिए तथा विषय वस्तु को व्यावहारिकता से जोड़ने के लिए प्रेरित रहना चाहिए।
  • नवीनता व नए खोजों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। ऐसा तभी कर पाएँगे जब उनके अंदर एक अच्छे शिक्षक के रूप में खुद को साबि करने की प्रेरणा होगी।
  • शिक्षक को पुरस्कार व धनात्मक पुनर्बलन देने के लिए प्रेरित रहना चाहिए न कि दंड जैसे हथकंडों का प्रयोग करने के लिए।
  • शिक्षकों को छात्रों में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करना चाहिए ताकि वे शिक्षक के साथ अपना सामंजस्य बैठा पाए और अपनी समस्याओं को शिक्षक के सामने रख सके।
  •  शिक्षक को लोकतांत्रिक मूल्यों से प्रेरित होना चाहिए।
  • शिक्षक, छात्रों के आदर्श बनें।




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