ऊसूबेल के सीखने का सिद्धान्त
डेविड ऊसूबेल ने संज्ञान द्वारा सीखने पर आधारित इस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया था। इसको संज्ञानात्मक सिद्धान्त इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस सिद्धान्त का मूल उद्देश्य सीखते समय व्यक्ति में क्या होता है, का वर्णन करना है। इस सिद्धान्त में मूल रूप से यह बताने की कोशिश की गई है कि सीखने की प्रक्रिया में जब नई विषय-वस्तु को शिक्षार्थी अपने पूर्व ज्ञान के साथ जोड़ते हैं तो उस नई विषय-वस्तु का क्या होता है? इस सिद्धान्त में शिक्षार्थी के पूर्व ज्ञान के भण्डार को ‘संज्ञानात्मक संरचना’ कहा गया है और जब शिक्षार्थी इस संज्ञानात्मक संरचना में नई विषय-वस्तु से सीखी गई अनुभूतियों को सार्थक ढंग से जोड़ता है या सम्बन्धित करता है, तो उसे उसका आत्मसात्करण होता है।
ऊसूबेल ने अपने सीखने के सिद्धान्त में सीखने के निम्नांकित चार प्रकार का वर्णन किया है:-
- रटकर सीखना विषय-वस्तु को बिना समझे हू-ब-हू सीखना ।
- अर्थपूर्ण सीखना विषय-वस्तु को समझ कर आत्मसात करना।
- अभिग्रहण सीखना विषय-वस्तु का हू-ब-हू तथा समझकर सीखना।
- अन्वेषण सीखना विषय-वस्तु में से नये विचार की खोज कर उसे सीखना।
Very important topics
Pavlovs-classical-conditioning-theory
Thorndikes-law-of-learning-part-1
Gender-issues-in-social-construction
Ausubels’s Theory of Learning
- Learning by rote learning without understanding the subject matter.
- Meaningful learning To understand and assimilate the subject matter.
- Learning to Reception Learning through and understanding of the subject matter.
- Learning to Explore by discovering and learning new ideas out of the conten