पॉवलाव का अनुबन्धन –
पॉवलाव का अनुबन्धन-अनुक्रिया का सिद्धान्त (Pavlov’s Classical Conditioning Theory) एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है, जिसे रूस के मनोवैज्ञानिक इवान पावलोव (Ivan Pavlov) ने विकसित किया था। यह सिद्धान्त मनुष्यों और पशुओं में व्यवहार के विकास को समझाने के लिए प्रमुख रूप से प्रयोग में आता है। पावलोव का शोध विशेष रूप से कंडीशनिंग (conditioning) की प्रक्रिया को समझने में सहायक था, जो यह बताता है कि किस प्रकार एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया (unconditioned response) को एक सामान्य उत्तेजना (neutral stimulus) से जोड़कर एक नया व्यवहार उत्पन्न किया जा सकता है।
पॉवलाव के शोध का प्रमुख उद्देश्य
पावलोव का प्रारंभिक अध्ययन पाचन तंत्र (digestive system) पर था, और उन्होंने कुत्तों पर प्रयोग करते हुए पाया कि कुत्ते भोजन देखते समय लार (salivation) छोड़ते थे। लेकिन पावलोव ने यह देखा कि यदि कुत्तों को भोजन से पहले कोई विशेष उत्तेजना (जैसे घंटी की आवाज) दी जाती थी, तो कुछ समय बाद वे घंटी की आवाज सुनते ही लार छोड़ने लगते थे, भले ही भोजन नहीं दिया जा रहा हो।
यह घटना क्लासिकल कंडीशनिंग (Classical Conditioning) या अनुबन्धन-अनुक्रिया सिद्धान्त (Conditioned Reflex Theory) के रूप में जानी गई।
पॉवलाव के प्रयोग की मुख्य बातें:
पावलोव ने कुत्तों पर किए गए प्रयोग में चार प्रमुख तत्वों की पहचान की:
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अस्वीकृत उत्तेजना (Unconditioned Stimulus – UCS): यह वह उत्तेजना है जो स्वाभाविक रूप से और स्वतः किसी प्रतिक्रिया (response) को उत्पन्न करती है। जैसे, भोजन एक अस्वीकृत उत्तेजना है जो कुत्ते में लार उत्पन्न करती है।
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अस्वीकृत प्रतिक्रिया (Unconditioned Response – UCR): यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक और स्वतः उत्पन्न होती है जब कुत्ता भोजन प्राप्त करता है। जैसे, भोजन खाने पर कुत्ते की लार का स्राव होना।
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तटस्थ उत्तेजना (Neutral Stimulus – NS): यह वह उत्तेजना है जो पहले कुत्ते में कोई प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं करती। जैसे, घंटी की आवाज, जो पहले कुत्ते में लार का स्राव नहीं करती थी।
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सशर्त उत्तेजना (Conditioned Stimulus – CS): जब तटस्थ उत्तेजना (जैसे घंटी की आवाज) को अस्वीकृत उत्तेजना (जैसे भोजन) के साथ जोड़ा जाता है, तो वह उत्तेजना एक सशर्त उत्तेजना में परिवर्तित हो जाती है, जो अब प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में सक्षम होती है। घंटी की आवाज (जो पहले तटस्थ थी) अब भोजन की तरह प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है।
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सशर्त प्रतिक्रिया (Conditioned Response – CR): यह वह प्रतिक्रिया है जो सशर्त उत्तेजना के प्रति उत्पन्न होती है, जो अस्वीकृत प्रतिक्रिया की तरह होती है। जैसे, घंटी की आवाज सुनते ही कुत्ता लार छोड़ने लगता है।
पावलोव के अनुबन्धन-अनुक्रिया के सिद्धान्त के चरण:
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प्रारंभिक अवस्था (Before Conditioning):
- UCS (भोजन) → UCR (लार का स्राव)।
- NS (घंटी की आवाज) → कोई प्रतिक्रिया नहीं।
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कंडीशनिंग प्रक्रिया (During Conditioning):
- NS (घंटी की आवाज) और UCS (भोजन) को एक साथ जोड़ा जाता है।
- बार-बार दोनों उत्तेजनाओं (घंटी और भोजन) का एक साथ अनुभव होता है।
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अंतिम अवस्था (After Conditioning):
- CS (घंटी की आवाज) → CR (लार का स्राव)।
अब, घंटी की आवाज सुनने से कुत्ते में लार का स्राव उत्पन्न होने लगता है, भले ही भोजन न दिया जाए।
पावलोव के सिद्धान्त का प्रभाव:
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स्वाभाविक प्रतिक्रियाएँ: पावलोव ने सिद्ध किया कि स्वाभाविक प्रतिक्रियाओं (जैसे लार का स्राव) को शर्तों के तहत नियंत्रित किया जा सकता है। यह सिद्धान्त यह भी बताता है कि एक सामान्य उत्तेजना को कई बार किसी अन्य स्वाभाविक उत्तेजना के साथ जोड़ने से उसे एक नई प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में सक्षम बनाया जा सकता है।
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मानव व्यवहार और शिक्षा: पावलोव का सिद्धान्त यह भी दर्शाता है कि हमारे व्यवहार और प्रतिक्रियाएँ अक्सर बाहरी उत्तेजनाओं के कारण प्रभावित होती हैं। इसका प्रयोग मानसिक स्वास्थ्य उपचार, शिक्षा, और व्यवहार चिकित्सा में भी किया जाता है, जैसे, शर्तीय व्यवहार का इलाज करना (जैसे, भय या चिंता को नियंत्रित करना)।
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शर्तीयता का प्रयोग: पावलोव के सिद्धान्त का प्रभाव न केवल पशु व्यवहार अध्ययन में, बल्कि मानव व्यवहार में भी देखने को मिलता है। यह सिद्धान्त यह समझने में मदद करता है कि किसी विशेष अनुभव से जुड़े डर, इच्छाएँ या आदतें कैसे विकसित होती हैं।
निष्कर्ष:
पावलोव का अनुबन्धन-अनुक्रिया सिद्धान्त यह बताता है कि सामान्य उत्तेजनाएँ (जो स्वाभाविक रूप से कोई प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं करतीं) को किसी स्वाभाविक उत्तेजना के साथ जोड़कर उन्हें एक नई प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। यह सिद्धान्त मनोविज्ञान, शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और मानव और पशु दोनों के व्यवहार को समझने में मदद करता है।
Pavlov’s Classical Conditioning Theory