स्किनर का क्रिया-प्रसूत का सिद्धान्त
- कार्यात्मक अनुबन्धन का सिद्धान्त नैतिक अनुबन्धन का सिद्धान्त
- • सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धान्त
- क्रिया-प्रसूत अनुबन्धन का सिद्धान्त स्किनर के अनुसार, कुछ अनुक्रिया (व्यवहार) स्वाभिक रूप से प्राणी द्वारा किए जाते हैं। उन्होंने अपने सिद्धान्त की व्याख्या दो प्रकार की अनुक्रियाओं के माध्यम से की है जिनका विवरण निम्नवत् है:-
- (i) प्रतिवादी अनुक्रिया
- (ii) क्रिया-प्रसूत अनुक्रिया
- प्रतिवादी अनुक्रिया:- यह अनुक्रिया एक स्पष्ट उद्दीपन द्वारा उत्पन्न होती है जिसका स्वरूप अनैच्छिक होता है। जैसे कुत्ते के द्वारा भोजन देखकर लार का स्राव होना ।
क्रिया-प्रसूत अनुक्रिया:- यह अनुक्रिया एक अस्पष्ट उद्दीपन द्वारा उत्पन्न होती है जिसका स्वरूप ऐच्छिक होता है। जैसे बात चीत करना, टहलना आदि ।
Some important Topics of CDP
Pavlovs-classical-conditioning-theory
Thorndikes-law-of-learning-part-1
Gender-issues-in-social-construction
स्किनर Skinner’s Operant Conditioning Theory
This hypothesis propounded by Skinner depends on the restrictive agreement. The learning conduct of the student is effectively concentrated on in relevant contracting. On this premise his hypothesis is called by various names. like :-
Hypothesis of Functional Contract Theory of Moral Contracting
• Standard of Active Adapted Response
• Hypothesis of verbal contractility According to Skinner, certain reactions (ways of behaving) are performed normally by the creature. He has made sense of his hypothesis through two sorts of responses, whose subtleties are as per the following:-
(I) respondent reaction
(ii) obstetric reaction
Respondent Response:- This reaction is created by an unequivocal upgrade which is compulsory in nature. Like discharge of spit in the wake of seeing food by canine.
Activity attentive reaction:- This reaction is produced by a vague boost whose nature is deliberate. Like talking, strolling and so on.