Thorndike’s Law of Learning – Part 1
थॉर्नडाइक के सीखने के नियम – भाग 1
थॉर्नडाइक ने अपने प्रयोगों के आधार पर कुछ सीखने के नियमों का प्रतिपादन किया है जिसे दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है – मुख्य नियम तथा गौण नियम। मुख्य नियमों के अन्तर्गत तीन नियम हैं तथा गौण नियमों के अन्तर्गत पाँच नियम हैं। इस प्रकार थॉर्नडाइक ने सीखने के आठ नियम बताए हैं।
मुख्य नियम ( Major Law )
- तत्परता का नियम ( Law of Readiness )
- अभ्यास का नियम ( Law of Exercise )
- प्रभाव का नियम ( Law of Effect )
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तत्परता का नियम ( Law of Readiness )
तत्परता के नियम का तात्पर्य यह है कि जब प्राणी अपने को किसी कार्य को करने या सीखने के लिए तैयार समझता है, तो वह बहुत शीघ्र कार्य करता है या सीख लेता है और उसे अधिक मात्रा में सन्तोष भी
मिलता है। सीखने को तैयार न होने पर उसे उस क्रिया में असन्तोष मिलता है।
जब प्राणी किसी कार्य को करने के लिए तैयार रहता है तो उसमें उसे आनन्द आता है और वह उसे शीघ्र सीख लेता है तथा जिस कार्य के लिए वह तैयार नहीं होता और उस कार्य को करने के लिए बाध्य किया जाता है तो वह झुंझला जाता है और उसे शीघ्र सीख भी नहीं पाता। तत्परता में कार्य करने की इच्छा निहित है। इच्छा न होने पर प्राणी डर के मारे पढ़ने अवश्य बैठ जाएगा लेकिन वह कुछ सीख नहीं पाएगा। तत्परता ही बालक के ध्यान को केन्द्रित करने में सहायक होती है।
अभ्यास का नियम ( Law of Exercise )
यह नियम प्रयोग करने तथा प्रयोग न करने पर आधारित है। इस नियम के अनुसार किसी क्रिया को बार-बार करने या दोहराने से वह याद हो जाती है और छोड़ देने पर या न दोहराने से वह भूल जाती है।
उदाहरण के रूप में कविता और पहाड़े याद करने के लिए उन्हें बार-बार दोहराना पड़ता है तथा अभ्यास के साथ-साथ उपयोग में भी लाना पड़ता है। ऐसा न करने पर सीखा हुआ कार्य भूलने लगते है। याद की गई कविता को कभी न सुनाया जाए तो वह धीरे-धीरे भूलने लगती है। यही बात साइकिल चलाना, टाइप करना, संगीत आदि में भी लागू है।
थॉर्नडाइक के अनुसार अभ्यास के नियम के अन्तर्गत दो उप-नियम आते हैं :-
उपयोग का नियम “जब एक परिवर्तनीय संयोग एक स्थिति और अनुक्रिया के बीच बनता है तो अन्य बातें समान होने पर वह संयोग दृढ़ हो जाता है।’
अनुपयोग का नियम “अनुपयोग के नियम के अनुसार कुछ समय तक किसी परिस्थिति और अनुक्रिया के बीच पुनरावृत्ति नही होने से संयोग क्षीण पड़ जाता है।”
डगलस एवं हॉलैण्ड के अनुसार, “जो कार्य बहुत समय तक किया या दोहराया नहीं जाता है, वह भूल जाता है। इसी को अनुपयोग या अनभ्यास का नियम कहते हैं।”
Continuous and Comprehensive Evaluation. सतत् और व्यापक मूल्यांकन
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प्रभाव का नियम ( Law of Effect )
थॉर्नडाइक का यह नियम सीखने और अध्यापन का आधारभूत नियम है। इस नियम को ‘सन्तोष-असन्तोष’ का नियम भी कहते है। इसके अनुसार जिस कार्य को करने से प्राणी को हितकर परिणाम प्राप्त होते है और जिसमें सुख और सन्तोष प्राप्त होता है, उसी को व्यक्ति दोहराता है। जिस कार्य को करने से कष्ट होता है और दुःखद फल प्राप्त होता है, उसे व्यक्ति नहीं दोहराता है। इस प्रकार व्यक्ति उसी कार्य को सीखता है जिससे उसे लाभ मिलता है तथा सन्तोष प्राप्त होता है। संक्षेप में, जिस कार्य के करने से पुरस्कार मिलता है उसे सीखते हैं और जिस कार्य के करने से दण्ड मिलता है उसे नहीं सीखा जाता। इसके विपरीत “दुःखद अथवा असन्तोषजनक परिणामों से उत्तेजना तथा अनुक्रिया का सम्बन्ध निर्बल हो जाता है।”
सीखने के गौण नियम (Subordinate Laws of Learning) Part 2 को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक को क्लिक करे । 👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻