Class 6 History 2 :इतिहास के पहले अध्याय में हमने यह जाना कि इतिहास का अध्ययन हमें अतीत की घटनाओं को समझने में मदद करता है। कक्षा 6 के दूसरे अध्याय में, हम उस समय की ओर बढ़ते हैं जब मानव ने शिकार और संग्रहण से कृषि की ओर कदम बढ़ाया। यह बदलाव मानव सभ्यता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि इसी बदलाव के कारण आज की सभ्यता और समाज का निर्माण हुआ। इस अध्याय में हम इस बदलाव की प्रक्रिया, उसके कारण, और इसके समाज पर पड़े प्रभाव को समझेंगे।
1. शिकार और संग्रहण का जीवन
हमारे प्राचीन पूर्वजों का जीवन शिकार और संग्रहण पर आधारित था। इसका मतलब यह था कि वे जंगलों में जाकर जानवरों का शिकार करते थे और फल-फूल, कंद-मूल और अन्य खाद्य पदार्थ इकट्ठा करते थे। यह जीवनशैली हजारों वर्षों तक प्रचलित रही। इस जीवनशैली में लोग अपने भोजन की तलाश में हमेशा इधर-उधर घूमते रहते थे। यह एक ऐसा जीवन था जिसमें कोई निश्चित निवास स्थान नहीं था, और लोग स्थायी रूप से कहीं नहीं रहते थे।
शिकार और संग्रहण की जीवनशैली के दौरान, लोग मुख्य रूप से उस समय के वातावरण और प्रकृति पर निर्भर होते थे। अगर मौसम अच्छा होता, तो फल-फूल और अन्य खाद्य पदार्थ आसानी से मिल जाते थे। लेकिन जब मौसम खराब होता या खाद्य पदार्थ कम होते, तो यह जीवन कठिन हो जाता था। इस जीवनशैली में लोग प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते थे और अपनी ज़िंदगी का गुजारा करते थे। हालांकि, इस जीवनशैली में स्थिरता का अभाव था, और समुदायों के बीच दूरी बनी रहती थी।
2. कृषि की शुरुआत
लगभग 10,000 वर्ष पहले, एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ। यह बदलाव था कृषि का प्रारंभ। मानव ने शिकार और संग्रहण से कृषि की ओर रुख किया। इस बदलाव ने मानव समाज के पूरे ढाँचे को बदल दिया। कृषि की शुरुआत का मुख्य कारण यह था कि लोग समझ गए थे कि वे अपनी ज़िंदगी को अधिक स्थिर और नियंत्रित बना सकते हैं, अगर वे खाद्य पदार्थों का उत्पादन खुद करें।
कृषि की शुरुआत के दौरान, सबसे पहले लोग उगाने के लिए जंगली अनाजों का उपयोग करने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने यह जाना कि कुछ विशेष बीजों को बोने से उनके पास अधिक मात्रा में खाना तैयार हो सकता है। इसके बाद, मनुष्यों ने जानवरों को भी पालतू बनाना शुरू किया। उन्होंने बैल, गाय, बकरी और अन्य जानवरों को पालतू बना लिया, ताकि वे उनके लिए खाद्य पदार्थों के रूप में काम करें और खेती में मदद कर सकें।
यह बदलाव न केवल उनके भोजन के स्रोत को स्थिर और सुनिश्चित करने के लिए था, बल्कि यह उनके समाज में स्थायित्व भी लेकर आया। इसके परिणामस्वरूप, लोग स्थिर स्थानों पर बसने लगे, और कृषि आधारित गाँवों की नींव रखी गई। इससे पहले, वे हमेशा किसी स्थान से दूसरे स्थान की ओर जाते रहते थे, लेकिन अब उन्होंने एक स्थान पर रहकर खेती करना शुरू किया।
3. कृषि के विकास के कारण
कृषि की शुरुआत और विकास के पीछे कई कारण थे। सबसे महत्वपूर्ण कारण यह था कि यह जीवनशैली खाद्य उत्पादन के मामले में अधिक स्थिर और सुरक्षित थी। पहले जब लोग शिकार और संग्रहण करते थे, तो उन्हें खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ता था। मौसम के बदलावों के कारण कभी भोजन की कमी हो जाती, तो कभी अत्यधिक वर्षा या सूखा उनके जीवन को प्रभावित करता। लेकिन कृषि ने उन्हें यह क्षमता दी कि वे खाद्य पदार्थों का उत्पादन कर सकते थे और समय के साथ उसे बेहतर बना सकते थे।
इसके अलावा, कृषि ने व्यापार की शुरुआत भी की। जब लोग एक ही स्थान पर रहने लगे, तो उन्हें अधिक मात्रा में उत्पादित अनाज और अन्य सामान की आवश्यकता पड़ी। इससे व्यापार का विकास हुआ। लोग अपने उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने लगे। यह व्यापार न केवल खाद्य सामग्री, बल्कि कच्चे माल, शिल्प और अन्य उपयोगी वस्तुओं का भी था।
कृषि के विकास के साथ-साथ लोग प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग करने लगे। उन्होंने सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित कीं, ताकि वे सूखा होने पर भी अपनी फसलों को उगा सकें। इसके अलावा, उन्होंने कृषि उपकरणों का विकास भी किया, जैसे हल, कुआँ, और अन्य उपकरण, जो कृषि कार्यों को आसान और तेज़ बनाते थे।
4. कृषि से समाज में बदलाव
कृषि के शुरू होते ही समाज में बड़े बदलाव आने लगे। अब लोग स्थिर हो गए थे और गाँवों का निर्माण हुआ। इन गाँवों में लोग एक दूसरे से जुड़ने लगे और सहयोग का भाव बढ़ा। कृषि के विकास के साथ-साथ परिवारों का आकार बढ़ा और लोग बड़ी संख्या में समूहों में रहने लगे। इससे समाज की संरचना में बदलाव आया।
इसके अतिरिक्त, कृषि ने श्रमिकों की नई भूमिकाएँ भी तय कीं। पहले, जब लोग शिकार करते थे, तो हर व्यक्ति को खाना खोजने के लिए यात्रा पर जाना पड़ता था, लेकिन अब कुछ लोग खेती करने लगे और अन्य लोग जानवरों की देखभाल करने लगे। इसी तरह से श्रमिकों की विभिन्न भूमिकाएँ बन गईं।
अभी तक हम केवल खाद्य उत्पादन के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन कृषि के साथ-साथ अन्य सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव भी आए। कृषि ने मानव समाज को शांति और स्थिरता प्रदान की, और इसके परिणामस्वरूप, समाज में संरचनाएँ विकसित होने लगीं।
5. कृषि का विस्तार और इसके प्रभाव
जैसे-जैसे समय बीतता गया, कृषि का विस्तार और अधिक स्थानों पर हुआ। विभिन्न प्रकार की फसलों और पशुपालन के रूप में विविधता आई। विभिन्न क्षेत्रों में कृषि की अलग-अलग विधियाँ विकसित हुईं। उदाहरण के लिए, कुछ स्थानों पर अनाज जैसे गेहूँ और चावल की खेती हुई, जबकि अन्य स्थानों पर फल, सब्जियाँ और मसाले उगाए गए।
कृषि के साथ-साथ मानव समाज में नई तकनीकों और विधियों का भी विकास हुआ। जल प्रबंधन, सिंचाई, और कृषि उपकरणों का उपयोग बढ़ा। इसने कृषि उत्पादन में वृद्धि की और इसे और अधिक स्थिर बना दिया।
6. निष्कर्ष
“शिकार से संग्रहण और कृषि की ओर” अध्याय हमें यह बताता है कि मनुष्य ने शिकार और संग्रहण की जीवनशैली से कृषि की ओर कैसे कदम बढ़ाए और यह बदलाव उनके जीवन, समाज और सभ्यता में कैसे महत्वपूर्ण था। कृषि के विकास ने समाज को स्थिरता दी, व्यापार को बढ़ावा दिया और सभ्यता के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। यह बदलाव न केवल भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करने वाला था, बल्कि इससे सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव भी आए। इस अध्याय के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि कृषि का विकास मानव सभ्यता के लिए कितना महत्वपूर्ण था और उसने समाज को कैसे बदल दिया।
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