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Class 6 History 3: अध्याय 3: “सबसे प्राचीन नगर”

Class 6 History 3 : इतिहास में सबसे प्राचीन नगरों का अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि मानव सभ्यता ने कैसे विकास किया और किस प्रकार के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव आए, जिनके कारण बड़े नगरों का निर्माण हुआ। कक्षा 6 के इस अध्याय में हम उन सबसे पहले नगरों और उनके विकास के बारे में जानेंगे जो इतिहास के प्रारंभिक दौर में महत्वपूर्ण थे। इस अध्याय में प्रमुख प्राचीन सभ्यताओं जैसे सिंधु घाटी सभ्यता, मेसोपोटामिया, और मिस्र के नगरों के बारे में चर्चा की गई है, जो मानव सभ्यता के प्रमुख केंद्र रहे थे।

1. नगरों का जन्म और विकास

मानव सभ्यता का सबसे बड़ा बदलाव कृषि और स्थिरता से जुड़ा हुआ था, जिससे नगरों का निर्माण हुआ। पहले जब लोग शिकार और संग्रहण की जीवनशैली अपनाते थे, तब वे एक जगह स्थिर नहीं रहते थे, लेकिन जैसे ही कृषि का विकास हुआ, लोग एक ही स्थान पर रहने लगे। इसके परिणामस्वरूप, छोटे-छोटे गाँवों का निर्माण हुआ। समय के साथ, जब लोगों ने अधिक मात्रा में अनाज और अन्य वस्तुएँ पैदा करना शुरू किया, तो इन गाँवों में व्यापार, निर्माण और अन्य गतिविधियाँ भी बढ़ने लगीं। इस प्रकार, छोटे गाँव समय के साथ बढ़कर बड़े नगरों में बदलने लगे।

2. सिंधु घाटी सभ्यता के नगर

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization), जो लगभग 3300 से 1300 ईसा पूर्व तक अस्तित्व में थी, इतिहास के सबसे प्राचीन और विकसित नगरों में से एक मानी जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा थे। इन नगरों का आकार बड़ा था और इनमें उन्नत नगर योजना, जल आपूर्ति व्यवस्था, तथा कूड़े के निपटान की सुसंगत प्रणाली थी।

2.1 नगर योजना और निर्माण

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की नगर योजना बहुत उन्नत थी। इन नगरों को विशेष रूप से सड़क नेटवर्क, मकानों की सुव्यवस्थित कतारें और जल निकासी की बेहतर प्रणाली के लिए जाना जाता था। नगरों में सड़कों को एक-दूसरे के साथ समकोण पर जोड़ा गया था, जिससे यातायात में आसानी होती थी। घरों में जल आपूर्ति के लिए कुएँ और पानी की टंकियाँ बनाई गई थीं। साथ ही, कचरे को एकत्रित करने के लिए सुसंगत प्रणाली थी, ताकि नगर साफ-सुथरा रहे।

2.2 मुद्रा और व्यापार

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के लोग व्यापार में भी संलिप्त थे। वे ताम्र और कांस्य धातु का उपयोग करते थे, और कपड़ा, मोती, और अन्य वस्तुओं का व्यापार करते थे। इन नगरों से प्राप्त वस्तुएँ दूर-दराज के देशों तक जाती थीं, जो यह साबित करता है कि उनका व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर था। सिंधु घाटी के लोग उन्नत कारीगरी में निपुण थे और उन्होंने अपने निर्माण कार्य में उच्चतम मानकों का पालन किया था।

3. मेसोपोटामिया और सुमेरियन सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन मेसोपोटामिया (मध्य पूर्व) की सभ्यता भी बहुत महत्वपूर्ण थी। मेसोपोटामिया में सुमेरियन सभ्यता का विकास हुआ, जिसके प्रमुख नगर उर, बाबीलोन, और निनवे थे। सुमेरियन सभ्यता का नगर जीवन और सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान है।

3.1 सुमेरियन नगरों का विकास

सुमेरियन नगरों की योजना में भी उन्नति देखी जाती है। यहाँ के नगरों में विशाल मंदिर, महल और अन्य महत्वपूर्ण इमारतें थीं। इन नगरों की प्रमुख विशेषता उनके विशाल और भव्य मंदिर थे, जिन्हें ज़िग्गुरत कहा जाता था। यह मंदिर केवल पूजा स्थलों के रूप में काम नहीं करते थे, बल्कि इनके आसपास के क्षेत्र में प्रशासनिक और वाणिज्यिक गतिविधियाँ भी होती थीं। सुमेरियन सभ्यता में धर्म और राज्य का आपस में गहरा संबंध था।

3.2 लिखाई और प्रशासन

सुमेरियन सभ्यता में लेखन का उपयोग महत्वपूर्ण था। सुमेरियन लोग क्यूनेफॉर्म लिपि का उपयोग करते थे, जो कीरेदारों से बनी हुई लिपि थी। इस लिपि का प्रयोग प्रशासन, व्यापार और अन्य सामाजिक गतिविधियों को दर्ज करने के लिए किया जाता था। सुमेरियन सभ्यता में सरकार का एक मजबूत ढांचा था, और राजा धर्म और कानून के संरक्षक माने जाते थे।

4. प्राचीन मिस्र के नगर

प्राचीन मिस्र भी एक प्रमुख प्राचीन नगर सभ्यता थी, जहाँ की सभ्यता और नगरों का विकास नील नदी के किनारे हुआ था। मिस्र में प्रमुख नगरों में थेब्स, मेम्फिस, और अलेक्ज़ेंड्रिया थे। इन नगरों का विकास भी नदी के किनारे कृषि और व्यापार पर आधारित था। नील नदी ने यहाँ के लोगों को कृषि के लिए उपयुक्त जलवायु और उर्वर भूमि प्रदान की थी।

4.1 मिस्र की नगर योजना और संस्कृति

मिस्र में नगरों का विकास विशेष रूप से नील नदी के आसपास हुआ था। यहाँ के नगरों में विशाल पिरामिड, मंदिर और अन्य भव्य इमारतें थीं। मिस्र में धर्म का बहुत महत्व था, और यहाँ के लोग भगवानों की पूजा करते थे। उनका विश्वास था कि उनके राजा, जिन्हें फ़राओ कहा जाता था, भगवान का रूप होते थे। इसलिए, फ़राओ के लिए विशाल मकबरे और पिरामिड बनाए गए थे, ताकि उनके शरीर को सुरक्षित रखा जा सके और वे मृत्यु के बाद भी राजा बने रहें।

4.2 विज्ञान और कला का विकास

मिस्र में विज्ञान, गणित, और कला का उच्चतम स्तर था। उन्होंने गणित में उन्नति की, विशेषकर पिरामिडों और अन्य इमारतों की सटीकता में। मिस्र के लोग खगोलशास्त्र में भी निपुण थे और उनके कैलेंडर प्रणाली ने कृषि कार्यों के लिए समय निर्धारित करने में मदद की। इसके अलावा, मिस्र के लोग चित्रकला, मूर्तिकला, और साहित्य में भी बहुत आगे थे।

5. नगरों का समाज और संस्कृति

प्राचीन नगरों का समाज और संस्कृति बहुत विविध था। इन नगरों में विभिन्न वर्गों और जातियों के लोग रहते थे। उच्च वर्ग के लोग शासक, व्यापारी, और पुरोहित होते थे, जबकि निचले वर्ग के लोग श्रमिक, कृषक, और कारीगर होते थे। नगरों में धर्म, कला, विज्ञान, और शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान था।

प्राचीन नगरों में शिक्षा का स्तर भी उन्नत था। सुमेरियन सभ्यता में स्कूल थे जहाँ व्यापार, लेखन, गणित और धर्म की शिक्षा दी जाती थी। मिस्र में भी मंदिरों के पास शिक्षा के संस्थान थे जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान का आदान-प्रदान होता था। इन नगरों में कला और वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण देखने को मिलते हैं, जैसे सुमेरियन ज़िग्गुरत, मिस्र के पिरामिड और हड़प्पा की ईंटों से बनी इमारतें।

6. निष्कर्ष

“सबसे प्राचीन नगर” अध्याय हमें यह समझाता है कि मानव सभ्यता के पहले नगरों का निर्माण कैसे हुआ और इन नगरों में किस प्रकार की उन्नति हुई। सिंधु घाटी सभ्यता, मेसोपोटामिया और मिस्र जैसी प्राचीन सभ्यताएँ मानव इतिहास के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। इन नगरों ने यह साबित किया कि सभ्यता केवल कृषि और शिकार से नहीं, बल्कि व्यापार, संस्कृति, कला, विज्ञान और धर्म से भी विकसित हो सकती है। इन प्राचीन नगरों का अध्ययन हमें यह सिखाता है कि मानव समाज ने कैसे धीरे-धीरे अपने जीवन को व्यवस्थित किया और अपने समाज की नींव रखी। इन नगरों से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि नगर केवल भौतिक संरचनाएँ नहीं होते, बल्कि ये समाज, संस्कृति, और जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलू होते हैं।

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