काल और इसके प्रकार
क्रिया के प्रयोग का समय काल कहलाता है। काल के तीन प्रकार होते हैं :-
- भूतकाल
- वर्तमानकाल
- भविष्यत्काल
भूतकाल
जिन क्रियाओं का व्यापार बीते हुए समय में होता है, वे भूतकाल की क्रियाएँ कहलाती हैं। भूतकाल के छह भेद होते हैं-
- सामान्य भूतकाल
- आसन्न भूतकाल
- अपूर्ण भूतकाल
- पूर्ण भूतकाल
- संदिग्ध भूतकाल
- हेतुहेतुमद् भूतकाल
सामान्य भूतकालः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि क्रिया बीते हुए समय में सामान्य रूप से हुई थी, वह सामान्य भूत की क्रिया है, जैसे :-
- वह गया ।
- राधा देर से आई।
आसन्न भूतकालः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो की क्रिया निकट भूतकाल में हुई है, जैसे- अ -आभा आ गई है, कक्षा शुरू हो चुकी है।
नोट: कुछ व्याकरण शास्त्री ‘है’ क्रिया के प्रयोग होने के कारण आसन्न भूत को वर्तमान काल का भेद मानते हैं व इसे पूर्ण वर्तमान का नाम भी देते हैं।
अपूर्ण भूतकालः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो क्रिया भूतकाल में प्रारंभ हो चुकी थी, परंतु उसकी समाप्ति प्रकट न हो। जैसे :-
- हम साथ-साथ पढ़ रहे थे।
- हम खेल रहे थे।
पूर्ण भूतकालः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि भूतकाल में क्रिया बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी थी। जैसे
- हितेश आया था।
- आभा आई थी।
संदिग्ध भूतकालः
क्रिया का वह रूप जिससे बीते हुए समय में उसके होने में संदेह प्रतीत हो, वह संदिग्ध भूत कहलाता है। जैसे :-
- शायद वह मेरे घर आया होगा।
हेतुहेतुमद् भूतकालः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि क्रिया भूतकाल में हो सकती थी, परंतु किसी अन्य क्रिया के न होने की वजह से नहीं हुई, जैसे :-
- यदि आप समय पर आते तो काल की परिभाषा लिख पाते।
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वर्तमान काल
जिन क्रियाओं का व्यापार वर्तमान में हो रहा है या चल रहे समय में होता है, वह वर्तमान काल कहलाता है। वर्तमान काल के तीन भेद होते हैं :-
- सामान्य वर्तमान काल
- अपूर्ण वर्तमान काल
- संदिग्ध वर्तमान काल
सामान्य वर्तमानः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि क्रिया चल रहे समय में सामान्य रूप में हो रही है, जैसे-
- राहुल खाना खाता है।
अपूर्ण वर्तमानः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि क्रिया वर्तमान में प्रारंभ हो चुकी है, परंतु उसकी समाप्ति प्रकट न हो, जैसे-
- वह खाना खा रहा है।
यहां यह तो पता चलता है कि खाना खाने की क्रिया प्रारंभ हो चुकी है। परन्तु यह पता नहीं चलता कि खाने की क्रिया अभी भी चल रही है या पूर्ण हो चुकी है।
संदिग्ध वर्तमानः
क्रिया का वह रूप जिससे चल रहे समय में उसके होने में संदेह प्रतीत हो, जैसे :-
- शायद वह आता ही होगा।
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भविष्यत काल
जिन क्रियाओं का व्यापार आने वाले समय में होना है, वे भविष्यत् काल की क्रिया कहलाती है, जैसे- वह आएगा। भविष्यत् काल के तीन भेद होते हैं :-
- सामान्य भविष्य
- संभाव्य भविष्य
- हेतुहेतुमद् भविष्य
सामान्य भविष्यत्ः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो की, क्रिया आने वाले समय में सामान्य रूप से एक बार या अनेक बार होगी,जैसे :-
- मैं कल मुंबई जाऊँगा।
संभाव्य भविष्यत्ः
ऐसी क्रियाएँ जिससे यह ज्ञात हो कि आने वाले समय में क्रिया के होने की संभावना हो, जैसे :-
- शायद कल बारिश होगी।
हेतुहेतुमद् भविष्यत्ः
क्रिया का वह रूप जिससे यह ज्ञात हो कि आने वाले समय में क्रिया का होना किसी अन्य क्रिया के होने पर निर्भर करेगा, जैसे
- अगर बारिश होगी तो फसल अच्छी उगेगी।
- अगर पढ़ोगे तो पास हो जाओगे।