अधिगम में सहायक कारक : व्यक्तित्व और पर्यावरणीय Factors Conducive to Learning : Personality and Environmental
‘सीखना’ निरन्तर चलने वाली एक सार्वभौम प्रक्रिया है, प्रत्येक व्यक्ति नित्यप्रति अपने जीवन में नये-नये अनुभव प्राप्त करता रहता है, ये नवीन अनुभव व्यक्ति के व्यवहार में वृद्धि एवं संशोधन करते हैं, शिशु को जन्म के कुछ समय बाद से ही उसे अपने वातावरण में कुछ-न-कुछ सीखने को मिल जाता है, बालक की सीखने की क्रिया की शुरुआत सर्व प्रथम परिवार से ही होता है फिर वह समाज, पास-पड़ोस, मित्र- मण्डली आदि से सीखना आरम्भ करता है, सीखने में उसका पर्यावरण एवं उसकी व्यक्तिगत विशेषताएँ एक सहायक कारक के रूप में बालक को सीखने में योगदान करते हैं।
यहाँ पर हम सीखने में सहायक व्यक्तिगत एवं पर्यावरणीय कारकों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं :-
- व्यक्तिगत
- रुचि
- इच्छा
- परिपक्वता
- अभिप्रेरणा (आंतरिक)
- दृढ़ता
- स्व-अध्ययन की विधि
- चिंता या दुश्चिंता
- थकान
- वातावरणीय
- परिवार का वातावरण
- स्कूल का वातावरण
- समाज का वातावरण
- कक्षा का भौतिक वातावरण
- अध्यापन विधि
- शिक्षक का व्यक्तित्व
- अध्ययन सामग्री
- विषय का स्तर
- पुरस्कार एवं दंड
व्यक्तिगत कारक
1. रुचिः– बालक में सीखने की रुचि होगी तो वह जल्दी सीख सकेगा साथ ही जिस विषयवस्तु को सीखना चाहेगा उसी आसानी से सीख सकेगा। जिन बालकों में विषयवस्तु के प्रति रुचि नहीं होगा तो उन्हें उस विषय को सीखना कठिन होगा।
2. परिपक्वताः– परिपक्वता अधिगम को प्रभावित करती है। इस बात का समर्थन कई मनोवैज्ञानिकों ने कियाए, जैसे- जीन पियाज़े आदि। जो बालक शारीरिक व मानसिक रूप से परिपक्व होते हैं वे तुलनात्मक रूप से अन्य बालकों की अपेक्षा जल्दी सीख लेते हैं। परिपक्वता आनुवंशिकता से प्रभावित होती है।
3. बुद्धि:– जिन बालकों में 1.Q. का स्तर अधिक है. वो बालक अपेक्षाकृत दूसरे बालकों से अधिक जल्दी सीख लेते हैं, क्योंकि अधिक 1.Q. वाले बालक अधिकांशतः समझकर सीखते हैं।
4. चिंता या तनावः- बालक परीक्षा या पढ़ाई करते समय यदि बहुत ज्यादा तनाव या चिंता करें तो अधिगम सही से नहीं कर पाएँगे लेकिन चिंता तो हो परंतु उसकी मात्रा यदि कम हो तो वो लाभकारी होगा।
5. अभिप्रेरणा:- अभिप्रेरणा का प्रारंभिक बिंदु आवश्यकता है और आवश्यकता के अनुरूप ही बालक अधिकांशतः अधिगम करता है; जैसे- जब वह कक्षा – 2 पास कर कक्षा 3 में जाता है तब वह कक्षा – 3 की पुस्तकें पढ़ता है उनकी बातें सीखना चाहता है न कि कक्षा-2 के अध्याय को पुनः पढ़ता है।
6. स्व – अध्ययन की विधिः- बालक यदि किसी विषयवस्तु को समझकर उसका संप्रत्यय (Concept) निर्माण कर सीखता है तब उसे आसानी होती है, लेकिन जब वह सिर्फ रटकर सीखना चाहता है तब अधिगम सही ढंग से नहीं हो पाता है।
वातावरणीय कारक
1. परिवार, स्कूल, समाजः- बालक के अधिगम में उसके परिवार, स्कूल तथा समाज के वातावरण का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। परिवार का माहौल खुशनुमा तथा अच्छा व तनाव रहित होता है वहाँ बालकों के मस्तिष्क का विकास अच्छा होगा व स्वस्थ रहेगा। उसका प्रभाव अधिगम पर भी पड़ेगा। परिवार में यदि तनाव, लड़ाई-झगड़े होते रहेंगे तो निश्चय ही इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
स्कूल व कक्षा के भौतिक वातावरण का भी बालक के अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। अँधेरापन, हवा, रोशनी फर्नीचर, शोरगुल, अनुशासन आदि का प्रभाव अधिगम पर पड़ता है।
समाज व आस -पड़ोस का भी अधिगम पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि बालक में विश्वास, आस्था, संस्कृति, सामाजिक नियमों, रीति-रिवाज, आदर्श, मूल्यों का भी अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। ये सभी समाज से ही सीखे जाते हैं।
2. शिक्षक का व्यक्तित्व तथा अध्यापन विधिः- शिक्षक का व्यक्तित्व जितना अच्छा होगा (यहाँ पर आंतरिक व्यक्तित्व महत्त्वपूर्ण है) उसका उतना ही अच्छा प्रभाव बालकों पर पड़ेगा। शिक्षक एक अच्छे प्रेरक की भूमिका निभाते हुए बालकों में अधिगम की आवश्यकता को महत्त्व देते हुए अधिगम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
3. विषय का स्तर:- यदि विषय की विषय-व -वस्तु सरल हो तो वो आसानी से अधिगम कर सकता है और यदि विषय की विषय-वस्तु कठिन है तो उसे अधिगम करने में कठिनता होगी।
4. शिक्षा के अनौपचारिक साधनः- बालक औपचारिक व अनौपचारिक दोनों प्रकार के साधनों से अधिगम करता है। ज्यादातर पारंपरिक रूप से औपचारिक साधन द्वारा ही प्राप्त करने पर बल दिया जाता है, लेकिन अनौपचारिक शिक्षा के साधन भी वर्तमान में अधिगम कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान अधिगम कराने का मुख्य उद्देश्य है व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास हो इसके लिए दुनिया, समाज, खेल – कूद आदि के प्रति भी रुचि व जानकारी होना जरूरी है। अनौपचारिक शिक्षा के साधन रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, समाचार-पत्र, पुस्तकालय, चल-चित्र आदि हैं।
Some important Topics of CDP
👇👇👇👇👇👇👇👇
Pavlovs-classical-conditioning-theory
Thorndikes-law-of-learning-part-1
Gender-issues-in-social-construction
Socialization-process समाजीकरण की प्रक्रिया
Evaluation-of-learning | मूल्यांकन
individual-difference | व्यक्तिक विभिन्नता