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मनोविज्ञान का परिचय Introduction of Psychology #ctet2024

मनोविज्ञान का परिचय 

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Psychology को शताब्दियों पूर्व ” दर्शन शास्त्र ” कि एक शाखा केरूप मे माना जाता था । मनोविज्ञान को स्वतंत्र विषय बनाने के लिए इसे परिभाषित करना शुरू किया।
PSYCHOLOGY शब्द कि उत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्दो PSYHE+LOGOS से मिलकर हुई हैं, PSYCHE का अर्थ होता है ” आत्मा का” तथा LOGOS का अर्थ होता हैं “अध्ययन करना ” इस शाब्दिक अर्थ के आधार पर सर्वप्रथम प्लेटो, अरस्तु और डेकार्ट के द्वारा मनोविज्ञान को ” आत्मा का विज्ञान ” माना गया ।

आत्मा शब्द की स्पष्ट व्याख्या नहीं होने के कारण 16वीं शताब्दी के अंत मे यह परिभाषा अमान्य हो गई । 17वीं शताब्दी मे इटली के मनोवैज्ञानिक पॉम्पोनोजी ने मनोविज्ञान को ” मन या मस्तिष्क का विज्ञान ” माना । बाद मे यह परिभाषा भी अमान्य हो गई ।19वीं शताब्दी में विलियम वुन्ट, विलियम जेम्स, वाइव्स और जेम्स सली आदि के द्वारा Psychology को ” चेतना का विज्ञान ” माना गया था, अपूर्ण अर्थ होने के कारण यह परिभाषा भी अमान्य हो गई ।

20वीं शताब्दी में Psychology को ” व्यवहार का विज्ञान ” माना हैं और आज तक यह परिभाषा प्रचलित हैं । 

व्यवहार का विज्ञान मानने वाले प्रमुख मनोवैज्ञानिक हैं – वाटसन, इसके अलावा वुडवर्थ , स्किनर , थॉर्नडॉइक और मैक्डुगल आदि मनोवैज्ञानिकों ने भी मनोविज्ञान को ” व्यवहार का विज्ञान ” माना है

विलियम वुन्ट ने जर्मनी के ” लिपजिग ” स्थान पर 1879 ई. में प्रथम ” मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला ” स्थापित की, इसलिए विलियम वुन्ट को ” प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक ” माना जाता हैं

विलियम मैक्डुगल ने अपनी पुस्तक ” आउट लाइन साइकोलॉजी ” के पृष्ट संख्या 16 पर ” चेतना शब्द ” की भरसक निन्दा की हैं ।

Psychology व्यवहार का शुध्द विज्ञान हैं “- वाटसन ।

“तुम मुझे कोई भी बालक दे दो में उसे वैसा बनाउँगा जैसा मैं उसे बनाना चाहता हूँ ” – वाटसन ।

” मनोविज्ञान ने सर्वप्रथम अपनी आत्मा का त्याग किया ,फिर मन का त्याग किया ,फिर चेतना का त्याग किया और आज Psychologyव्यवहार के विधि के स्वरूप को स्वीकार करता हैं ” – वुड़वर्थ ।

Psychology और बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र 

मनोविज्ञान (Psychology) मानव मस्तिष्क और व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है। बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (Child Development and Pedagogy, CDP) में मनोविज्ञान का महत्व अत्यधिक है क्योंकि बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास को समझने से उनके बेहतर शैक्षिक अनुभव और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।

बाल विकास और शिक्षाशास्त्र (CDP) का मनोविज्ञान में महत्व

बालकों के विकास में मानसिक प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बाल विकास एक समग्र प्रक्रिया है जिसमें बच्चे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, और भावनात्मक दृष्टिकोण से विकसित होते हैं। मनोविज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि बच्चे कैसे सीखते हैं, उनके व्यवहार में क्या बदलाव होते हैं, और उनके मानसिक विकास के विभिन्न पहलू क्या हैं।

  1. विकासात्मक  (Developmental Psychology): विकासात्मक मनोविज्ञान बच्चों के विकास के विभिन्न चरणों पर केंद्रित है। इसमें शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक विकास की समझ शामिल है। विकासात्मक मनोविज्ञान के सिद्धांतों से यह ज्ञात होता है कि बच्चों का मानसिक विकास किस प्रकार से होता है और किस उम्र में वे कौन-सी क्षमताएँ विकसित करते हैं। उदाहरण स्वरूप, एक बच्चा अपनी पहली बात 1-2 साल की उम्र में कह सकता है, और 4-5 साल की उम्र तक वह आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करने लगता है।

  2. संज्ञानात्मक  (Cognitive Psychology): संज्ञानात्मक मनोविज्ञान का उद्देश्य यह समझना है कि बच्चे किस प्रकार सोचते हैं, समझते हैं और याद करते हैं। यह हमें यह जानने में मदद करता है कि बच्चों के मस्तिष्क में जानकारी का प्रसंस्करण कैसे होता है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा जब कुछ नया सीखता है तो वह उसे अपने पिछले अनुभवों से जोड़कर समझता है। यह प्रक्रिया बच्चों की समझ और उनके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।

  3. भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and Social Development): बच्चों का भावनात्मक और सामाजिक विकास उनके जीवन के शुरुआती वर्षों में बहुत महत्वपूर्ण होता है। मनोविज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि बच्चे अपने आस-पास के वातावरण, परिवार, और मित्रों के साथ कैसे संबंध स्थापित करते हैं। बच्चों में सहानुभूति, आत्म-सम्मान, और सामाजिक कौशलों का विकास कैसे होता है, यह समझने के लिए Psychology आवश्यक है। यह बच्चों को भावनाओं को पहचानने, प्रबंधित करने और दूसरों के साथ सहायक और सम्मानजनक तरीके से संवाद करने में मदद करता है।

  4. शिक्षा (Psychology in Education): बच्चों की शैक्षिक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। शिक्षक बच्चों की व्यक्तिगत जरूरतों और मानसिक अवस्था के अनुसार पाठ्यक्रम को ढाल सकते हैं। यह बच्चों की अलग-अलग क्षमताओं और सीखने के तरीके के आधार पर शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है। शिक्षक को यह समझना होता है कि एक ही पाठ्यक्रम को बच्चे अलग-अलग तरीकों से ग्रहण करते हैं और उनकी सीखने की गति भी भिन्न हो सकती है।

  5. सकारात्मक (Positive Psychology):  बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें बच्चों को खुश रहने, अपने जीवन में उद्देश्य समझने और अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया जाता है। स्कूलों में यह प्रक्रिया बच्चों के मानसिक तनाव को कम करने में मदद करती है और बच्चों में आत्मसम्मान को बढ़ावा देती है।

  6. सीखने के सिद्धांत (Learning Theories): Psychology के सिद्धांतों से बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, बिहेवियरिज्म (Behaviorism), कनेक्शनिज्म (Connectionism), और कंस्ट्रक्टिविज्म (Constructivism) जैसे सिद्धांत बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

    • बिहेवियरिज्म: इसमें यह माना जाता है कि बच्चों का व्यवहार बाहरी वातावरण से प्रभावित होता है। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देना है।
    • कंस्ट्रक्टिविज्म: इस सिद्धांत के अनुसार, बच्चों को ज्ञान सक्रिय रूप से स्वयं बनाना चाहिए। शिक्षक उन्हें दिशा देते हैं, लेकिन बच्चे स्वयं समझ विकसित करते हैं।

शिक्षाशास्त्र और मनोविज्ञान के बीच संबंध

शिक्षाशास्त्र का उद्देश्य बच्चों की शिक्षा और विकास के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना है। बाल विकास और Psychology के सिद्धांतों को समझकर शिक्षकों को बच्चों की जरूरतों को पहचानने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बच्चा किसी शैक्षिक गतिविधि में रुचि नहीं ले रहा है, तो शिक्षक को यह समझने की जरूरत होती है कि क्या वह बच्चा मानसिक रूप से तैयार नहीं है या क्या किसी और प्रकार का तनाव उसकी सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है।

निष्कर्ष

Psychology और बाल विकास के सिद्धांत शिक्षकों को बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास को समझने में मदद करते हैं। यह न केवल बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा देता है। मनोविज्ञान के सिद्धांतों को शिक्षाशास्त्र में लागू करके बच्चों के सीखने के अनुभव को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाया जा सकता है, जिससे वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकें।


मनोविज्ञान की मुख्य शाखाएँ या क्षेत्र ( Main branches or area of Psychology ) :—

1. सामान्य 
2. असामान्य 
3. तुलनात्मक 
4. प्रयोगात्मक 
5. समाज 
6. औधोगिक 
7. बाल मनोविज्ञान
8. किशोर मनोविज्ञान
9. प्रोढ़ मनोविज्ञान
10. विकासात्मक 
11. शिक्षा मनोविज्ञान
12. निदानात्मक या उपचारात्मक या क्लिनिकल मनोविज्ञान
13. परा मनोविज्ञान ( आधुनिकतम शाखा )
14. पशु मनोविज्ञान 

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