सरकार का अर्थ :-
सरकार राज्य का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। भारत मे संघीय सरकार है । यहां दो स्तरों पर सरकार का गठन किया गया है – केंद्र और राज्य । सरकार राज्य का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। प्रत्येक सरकार के तीन अंग होते हैं – व्यवस्थापिका (विधायिका), कार्यपालिका व न्यायपालिका। कार्यपालिका का काम संविधान और कानून के अनुसार देश का शासन चलाना है । व्यवस्थापिका देश के लिए कानून बनाती है। न्यायपालिका कानून के खिलाफ काम करने पर सजा देती है।
सरकार के विभिन्न स्तर :-
भारत मे सरकार के तीन स्तर है – केंद्रीय स्तर, राज्य स्तर और स्थानीय स्तर।
1. केंद्रीय ( राष्ट्रीय ) स्तर
केन्द्रीय स्तर का सम्बन्ध पूरे देश से होता है। सम्पूर्ण देश का संचालन केन्द्र सरकार के द्वारा होता है।
2. राज्य स्तर
राज्य स्तर का सम्बन्ध देश के या संघ के विभिन्न इकाइयों से हैं, जैसे-उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब इत्यादि।
3. स्थानीय स्तर
स्थानीय स्तर का सम्बन्ध देश के सबसे निचले स्तर से अर्थात् पंचायत व नगर पालिका से है। पंचायत ग्रामीण स्तर के लिए व नगर पालिका शहरी क्षेत्र के लिए है।
सरकार के कार्य :-
भारत के सन्दर्भ में सरकार के सभी स्तरों पर विभिन्न कार्य एवं शक्तियाँ हैं।
केन्द्रीय स्तर की सरकार के कार्य-संविधान के द्वारा संघ सूची में उल्लेखित हैं – सम्पूर्ण देश के लिए कानून का निर्माण करना, इसका परिचालन, सम्पूर्ण देश के नागरिकों के लोक कल्याण को बढ़ावा देना, राष्ट्र की सुरक्षा व रक्षा करना व दूसरे देश के साथ सम्बन्धों को विकसित करना।
राज्य स्तर की सरकार के कार्य संविधान के तहत राज्य सूची में उल्लेखित हैं-राज्य, क्षेत्र विशेष के लिए अर्थात् अपने राज्य के लिए कानून बनाना व उनका परिचालन कराना, राज्य के नागरिकों के लोक कल्याण को बढ़ावा देना, राज्य के विकास कार्य को करना, कृषि, स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना।
स्थानीय स्तर की सरकार के कार्य व शक्तियों का प्रावधान संविधान के तहत भाग-9 व 9(क) तथा अनुसूची 11वीं व 12वीं में किया गया है। इसका स्थानीय स्तर पर नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करना है। जैसे-शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य इत्यादि।
सरकार के विभिन्न प्रकार व रूप
. सरकार के अनेक प्रकार व रूप होते हैं-राजतंत्र, निरंकुशतंत्र, कुलीनतंत्र, लोकतंत्र, इत्यादि।
लोकतंत्र
लोकतंत्र वर्तमान में सर्वश्रेष्ठ शासन व्यवस्था है। लोकतंत्र लोगों या जनता का शासन होता है।लोकतंत्र में लोगों के द्वारा ही सरकार को निर्णय लेने, कानून का पालन करवाने की बाह्य शक्ति प्रदान की जाती है। लोकतंत्र में सरकार को यह शक्ति जनता चुनाव या निर्वाचन के माध्यम से देती है। लोकतंत्र में सरकार किसी भी प्रकार के निर्णय व कार्यों के लिए जनता के प्रति ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी होती हैं।
राजतंत्र
राजतंत्र में राजा या रानी के पास किसी भी प्रकार के निर्णय लेने व सरकार चलाने की शक्ति होती है।
राजतंत्र के तहत राजा के पास सलाहकारों का एक छोटा-सा समूह होता है जिससे वह विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर सकता है परन्तु निर्णय लेने की अंतिम शक्ति राजा के पास ही होती है।
राजतंत्र के विपरीत एक निरंकुश सरकार या निरंकुश राजतंत्र सरकार भी होती है जिसमें राजा या रानी की इच्छा ही कानून होता है। इसमें जनता पर निरंकुश तरीके से शासन किया जाता है।
कुलीन तन्त्र
कुलीनतंत्र सरकार एक ऐसी सरकार होती है जिसमें कुछ व्यक्ति मिलकर शासन करते है। सम्पूर्ण सत्ता या शासन का अधिकार कुछ व्यक्तियों के हाथ में रहता है।
आधिनायकव
अधिनायकत्व सरकार ऐसी सरकार होती है जो प्रजा के ऊपर निरंकुशता पूर्वक शासन करती है। इस प्रकार की शासन प्रणाली में लोगों को किसी प्रकार की स्वतंत्रता व अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं, जैसे-फासीवादी व नाजीवादी सरकार। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र सरकार को प्रतिनिधि लोकतंत्र कहते हैं। प्रतिनिधि लोकतंत्र में जनता प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लेती है। वे अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करती हैं।
स्थानीय सरकार व प्रशासन
स्थानीय सरकार का अर्थ
भारत में स्थानीय सरकार का जनक भारत के वायसराय लार्ड रिपन (1880-1884) को माना जाता है। भारत में पंचायती राज का जनक बलवन्त राय मेहता को माना जाता है। स्थानीय सरकार किसी भी देश में लोकतंत्र की प्रारम्भिक सीढ़ी होती है अत: लोकतंत्र का प्रथम स्तर है। स्थानीय सरकार का तात्पर्य है कि ऐसी सरकार जिसमें स्थानीय स्तर पर जनता द्वारा शासन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी होती है।
स्थानीय सरकार का विकास
प्राचीन .काल में भारत में सरकार का स्वरुप स्थानीय स्तर पर ही निर्धारित होता था। भारत में दक्षिण भारत में चोल साम्राज्य की स्थानीय प्रशासन सबसे आदर्श व्यवस्था समझी गई है।चोल साम्राज्य के तहत स्थानीय सरकार को केन्द्रीय साम्राज्य से पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त की। स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों के लिए एक स्पष्ट संहिता बनाई गई थी जिसमें उनकी योग्यता, कार्य प्रणाली व स्वरूप का एक आदर्श रूप में प्रस्तुत किया गया था।
भारत में मध्यकाल में स्थानीय सरकार के विकास में रूकावट आई। स्थानीय प्रशासन पर धर्म व उसकी कार्यप्रणाली का प्रभाव पड़ा। आधुनिक युग में ब्रिटिश साम्राज्य के तहत स्थानीय सरकार में विकास प्रक्रिया की शुरूआत हुई थी। विशेषकर लार्ड रिपन के काल में। लार्ड रिपन ने स्थानीय सरकार की स्वायत्तता व उसके कार्य क्षेत्र के विस्तार को समर्थन दिया इसलिए लार्ड रिपन को स्थानीय सरकार का जनक माना जाता है।
ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत
ग्राम सभा एक पंचायत के क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्कों की सभा होती है। कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे ज्यादा हो, जिसे वोट देने का अधिकार प्राप्त हो और जिसका नाम गाँव के मतदाता सूची में उल्लेखित है ऐसे ग्राम समूह को ही ग्राम सभा कहा जाता है। एक गाँव की एक ग्राम सभा हो सकती है और एक गाँव की दो ग्राम सभा भी हो सकती हैं। एक या एक से अधिक गाँव को मिलाकर एक ग्राम सभा भी हो सकती है।
एक ग्राम पंचायत कई वार्डों (छोटे क्षेत्रों) में बंटी हुई होती है। प्रत्येक वार्ड अपना एक प्रतिनिधि चुनता है, जो वार्ड पंच के नाम से जाना जाता है। ग्राम पंचायत का एक सचिव होता है जो ग्राम सभा का भी सचिव होता है। यह सरकारी कर्मचारी होता है। सचिव का काम है ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना और जो भी चर्चा एवं निर्णय हुए हो उनका रिकार्ड रखना है।
ग्राम पंचायत की कार्य प्रणाली
ग्राम पंचायत का मुख्य कार्य गाँव स्तर पर-सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य व सिंचाई इत्यादि मूल सुविधाएँ प्रदान कराना होता है। ग्राम पंचायत का मुख्य कार्य के क्षेत्र में आने वाले गाँवों में विकास कार्यक्रम लागू करना होता है।कुछ राज्यों में ग्राम सभाएँ काम करवाने के लिए समितियाँ बनाती हैं, उदाहरण के लिए निर्माण समिति। इन समितियों में कुछ सदस्य ग्राम सभा के होते हैं और कुछ पंचायत के।
ग्राम पंचायतों के आय के स्त्रोत
घरों एवं बाजारों पर लगाए जाने वाले कर से मिलने वाली राशि। विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा चलाई गई योजनाओं की राशि जो जनपद एवं जिला पंचायत द्वारा प्रदान की जाती है। समुदाय के काम के लिए मिलने वाले दान।